मेरा नाम रितिका है, मैं अहमदाबाद की रहने वाली हूं। मेरी उम्र 25 वर्ष है। मेरे घर में मेरे माता पिता और मेरे भैया हैं। मेरे भैया की शादी को 2 वर्ष हो चुके हैं और वह अहमदाबाद में ही अपना प्रॉपर्टी का काम संभालते हैं। मेरे पापा भी एक छोटी प्राइवेट संस्थान में नौकरी करते हैं, मैंने भी अपनी पढ़ाई के बाद से ही नौकरी करना शुरू कर दिया था।
पहले मैं एक होटल में रिसेप्शन में जॉब किया करती थी लेकिन वहां से मेरी जॉब छूटने के बाद अब मैं कहीं और जॉब देख रही हूं लेकिन मेरा भी कहीं सलेक्शन नही हुआ। मैंने बहुत सी जगह अपने इंटरव्यू दिए परंतु कहीं पर भी मुझे ऐसा नहीं लगा कि वह जॉब मेरे लिए सही है इसलिए मैं बहुत सारी जगह अपने जॉब के लिए ट्राई कर रही थी लेकिन कहीं पर भी मुझे अच्छी जॉब नहीं मिल रही थी। मैंने अपने जितने भी परिचय में दोस्त है उन सब को मैंने बता दिया था कि यदि तुम्हारी नजर में कहीं अच्छी जॉब हो तो तुम मुझे बता देना।
मैं जब घर पर थी तो इसी बीच में मेरे कई पुराने दोस्त मुझे मिल जाया करते थे और मेरे मोहल्ले के भी दोस्त मुझे मिल जाते हैं, वह कहते है कि तुम तो दिखाई ही नहीं देती हो। मैं उन्हें बताती कि मैं काफी समय से जॉब कर रही थी इसलिए मुझे समय नहीं मिल पा रहा था परंतु अब मेरी जॉब छूट चुकी है इस वजह से मैं घर पर ही हूं इसलिए मैं तुमसे मिल पा रही हूं, नहीं तो मैं सुबह निकल जाती थी और रात को ही मेरा घर आना होता था। मैंने बहुत सारी जगह अपने इंटरव्यू दिए थे परंतु कहीं पर भी कुछ नहीं हो पा रहा था। एक दिन मेरी सहेली का मुझे फोन आया और वह कहने लगी एक ज्वेलरी शॉप में यदि तुम्हें काम करना है तो तुम अपना रिज्यूम मुझे फॉरवर्ड कर दो।
जब मैंने उससे उस ज्वेलरी शॉप के बारे में पूछा तो वह कहने लगी कि वह बहुत ही बड़ी ज्वैलरी शॉप है और वहां पर तुम्हे सैलरी भी अच्छी मिल जाएगी और काम भी ज्यादा नहीं है। मैंने उसे अपना रिज्यूम फॉरवर्ड कर दिया और कुछ दिनों बाद मुझे वहीं से फोन आ गया। जब मैं ज्वेलरी शॉप में गई तो वह बहुत ही बड़ी ज्वेलरी शॉप थी। वहां के ओनर ने मेरा इंटरव्यू लिया और उसके बाद उन्होंने मुझे वहीं जॉब पर रख लिया।
कुछ दिनों तक तो मैं काम रही थी और क्लाइंट्स को कैसे हैंडल करना है वह हमें सिखाया जा रहा था। यह काम मेरे लिए एक दम नया था। इससे पहले मैंने होटल में काम किया था, वहां पर अलग तरीके से डीलिंग करनी पड़ती थी और यहां पर कस्टमर के साथ अलग तरीके से बात करनी पड़ती है इसलिए मैं वहां पर कुछ दिनों तक काम सीख रही थी और अब मुझे काफी समय हो चुका था उस ज्वेलरी शॉप में काम करते हुए। हमारे शॉप के ओनर बहुत ही अच्छे व्यक्ति थे। वह बहुत ही अच्छे से बात किया करते थे और उन्होंने कभी भी किसी से ऊंची आवाज में बात नहीं की। उनके यहां पर जितने भी लोग काम करते थे वह बहुत ही प्यार से बात किया करते थे इसलिए हमारे स्टाफ में जितने भी लोग थे वह सब उनकी बहुत ही रिस्पेक्ट किया करते थे। उनकी शहर में कई ज्वेलरी शॉप हैं। मेरा काम बी अब अच्छे से चल रहा था। तभी एक दिन उनका लड़का शॉप में आ गया, वह विदेश से पढ़ाई कर के अभी कुछ दिनों पहले ही लौटा था। हमारी शॉप के ओनर ने हमें उन से मिलवाया और सब लोगों का परिचय करवाया। उनका नाम सुशांत है और वह विदेश से पढ़ाई कर के लौटे हैं।
वह दिखने में बहुत ही हैंडसम और अच्छे लग रहे थे। मैंने जब उन्हें देखा तो मुझे उन्हें देखकर बहुत ही अच्छा लग रहा था। वह अक्सर शॉप में आ जाया करते थे। जब भी वह शॉप में आते तो वो काफी देर तक अपने ऑफिस में ही बैठे रहते थे। उनका नेचर भी बहुत ही सिंपल और साधारण तरीके का था। उन्हें बिल्कुल भी किसी चीज का घमंड नहीं था और ना ही वह किसी से ऊंची आवाज में बात कर रहते थे। वह सब स्टाफ वालों को एक समान मानते थे और सब से अच्छे से बात किया करते थे। जब भी वह मुझे बुलाते तो मैं उन्हें हमेशा ही गुड मॉर्निंग कर दिया करती थी जिससे कि वह बहुत ही खुश होते और हमेशा एक प्यारी सी स्माइल देकर चले जाते। ज्यादातर वही शॉप का काम संभालने लगे थे और वही सारा कुछ हिसाब-किताब देखा करते थे।
एक दिन उन्होंने मुझे ऑफिस में बुला लिया और कहने लगे कि तुम बहुत ही अच्छे से काम कर रही हो, मैंने उन्हें कहा कि हां मैं जब से जॉब पर लगी हूं तब से अपना हंड्रेड परसेंट ही दे रही हूं। सुशांत बहुत ही अच्छी तरीके से मुझसे बात किया करते थे और मुझे उनसे बात करना बहुत ही अच्छा लगता था। सुशांत और मेरे बीच में नज़दीकियां बहुत ज्यादा बढ़ने लगी थी और मुझे पता भी नहीं चला कि हम दोनों कब नजदीक आते चले गए। मैं सुशांत के साथ घूमने भी जाया करती थी और मुझे उनके साथ घूमना बहुत ही पसंद था लेकिन शॉप में हमारे बारे में यह बात किसी को भी नहीं पता थी। हम दोनों के बीच में फोन पर भी बातें हो जाया करती थी और जब वह मुझे फोन करते तो मुझे बहुत ही अच्छा लगता था और कहीं ना कहीं सुशांत को भी मुझसे बात करना बहुत ही अच्छा लगता था इसीलिए वह अक्सर मुझे फोन कर दिया करते थे।
जब यह बात हमारे बॉस को मालूम पड़ी, कि सुशांत और मेरे बीच में बहुत बाते हुआ करती हैं तो उन्होंने एक दिन मुझे अपने केबिन में बुलाया और कहते हैं कि तुम सुशांत से दूर ही रहो नहीं तो यह तुम्हारे लिए बिल्कुल भी अच्छा नहीं होगा। उस दिन उन्होंने मुझसे बहुत बदतमीजी से बात की और मुझे उनकी बातों से बहुत ज्यादा बुरा लगा। जब इस बात का पता सुशांत को चला तो वह कहने लगा कि पापा ने तुमसे बहुत ही बदतमीजी से बात की है, मुझे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा कि उन्होंने तुम्हारे साथ इस प्रकार से बात की। मैंने उसे कहा कि कोई बात नहीं यदि उन्हें मेरा तुमसे मिलना अच्छा नही लगता तो उनका गुस्सा होना लाजमी है क्योंकि तुम एक बहुत बड़े घर के लड़के हो और शायद मैं तुम्हारे आगे कहीं पर भी खड़ी नहीं हो सकती। हम लोग तुम्हारी बराबरी नहीं कर सकते है।
सुशांत मुझे कहने लगा कि तुम यह किस प्रकार की बात कर रहे हो, मैं तुम्हें पसंद करता हूं तो इसमें बराबरी वाली बात कहां से आ जाती है। मैं इस बारे में अपने पापा से बात करूंगा लेकिन कहीं ना कहीं सुशांत को भी डर था कि यदि उसके पापा ने उसे मुझसे बात करने से मना कर दिया तो वह मुझसे बात नहीं कर पाएगा क्योंकि वह अपने पिता की बहुत ही ज्यादा इज्जत करता है, वह उन्हें बहुत ही आदर और सम्मान देता है यह बात मुझे अच्छे से मालूम थी। जब सुशांत ने उनसे बात की तो उन्होंने साफ शब्दों में कह दिया कि तुम अपने रिश्ते को यहीं पर खत्म कर दो, नहीं तो यह तुम्हारे लिए अच्छा नहीं होगा। अब सुशांत बहुत ज्यादा दुखी था और वह भी दुविधा में था कि उसे क्या करना चाहिए यदि वह मुझसे बात करता तो उसके पापा मुझे काम से भी निकाल सकते थे और वह ऐसा बिलकुल भी नहीं चाहता था कि उसके पापा मुझे काम से निकाल दें इसलिए हम दोनों बहुत ही कम मिला करते थे। जब वह ऑफिस में भी आता तो मुझसे कम ही बात किया करता था और मैं भी उसे बहुत कम बात किया करती थी लेकिन मेरे दिल में उसे देख कर बहुत ही अच्छी फीलिंग आती थी और ऐसा लगता था कि मुझे सुशांत से बात करनी चाहिए। सुशांत भी यही चाहता था लेकिन हम दोनों के बीच में बात नहीं हो पा रही थी और हम दोनों ऑफिस में नही मिल पा रहे थे।
मैं रोज की तरह शॉप गई हुई थी और सुशांत भी आ गया। वह अपने केबिन में ही बैठा हुआ था उसने मुझे फोन करते हुए अंदर बुला लिया और जब उसने मुझे अंदर बुलाया तो मैं अंदर चली गई। वह मुझसे कहने लगा कि तुम मुझसे बात क्यों नहीं कर रही हो। मैंने उसे कहा कि तुम ही मुझसे बात नहीं कर रहे हो तो मैं तुमसे क्यों बात करूंगी। उसने तुरंत ही मुझे गले लगा लिया और जब उसने मुझे गले लगाया तो उसका लंड खड़ा हो रखा था मेरे स्तन उसकी छाती पर टच हो रहे थे मेरे अंदर की उत्तेजना बढ़ने लगी थी और उसने मुझे कसकर गले लगा लिया। सुशांत ने जैसे ही मेरे होठों को अपने होठों में लेकर चूसना शुरू किया तो मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था। मैंने भी उसके होठों को चूमना शुरू कर दिया और मैं उसे अच्छे से किस करने लगी। वह बहुत ही खुश हो रहा था और उसने मुझे सोफे पर लेटा दिया मेरे कपड़े उतारते हुए मेरे स्तनों का रसपान करना शुरू कर दिया। उसने मेरे दोनों पैरों को चौड़ा करते हुए मेरी चूत को बहुत ही अच्छे से चाटा।
कुछ देर तक तो मैंने भी उसके लंड को अपने मुंह में ले कर सकिंग किया। हम दोनों से ही नहीं रहा जा रहा था और उसने अपने लंड को जैसे ही मेरी चूत मे डाला तो मेरी चूत से खून की पिचकारी उसके लंड पर गिर पड़ी। उसका लंड मेरी चूत की गहराइयों में चला गया और वह मेरे दोनों पैरों को चौड़ा करते हुए मुझे बड़ी तेजी से चोद रहा था। पहले मुझे बहुत दर्द हो रहा था लेकिन जब उसका लंड मेरी योनि के अंदर बाहर होने लगा तो मुझे बहुत ही अच्छा लगने लगा।
मैं भी उसका पूरा साथ दे रही थी जब वह मुझे धक्के मारता तो मेरे मुंह से मादक आवाज निकल जाती और मुझे बहुत ही अच्छा लगता। उसने मुझे इतनी तेज तेज झटके मारे कि उन्हें झटको के बीच में ना जाने कब उसका वीर्य मेरी योनि के अंदर ही गिर गया और मुझे पता भी नहीं चला। जब उसका माल मेरी योनि में गिरा तो वह बहुत ही खुश हो गया उसके बाद उसने अपने पापा से बात कर ली उसके पापा ने भी हम दोनों के रिश्ते के लिए हामी भर दी और उसके पापा भी मुझसे बहुत खुश हैं। मैं जब भी सुशांत के घर जाती तो हम दोनों सेक्स किया करते हैं।


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