मेरे प्यारे दोस्तों आप सभी को कविता का नमस्कार !!! मैं बीस साल की हूँ।आज मैं अपनी कहानी सुनाने जा रही हूँ ये मेरी पहली कहानी है और ये मेरी पहली चुदाई है। और ये कहानी ज्यादा नहीं बल्कि 2 महिने पुराणी है इसलिए आज इस कहानी को पोस्ट कर रही हूँ। अब मैं सीधे कहानी पर आती हूँ। मैं लक्ष्मी नगर (दिल्ली) में रहती हूँ। मैं कॉल सेंटर में जॉब करती हूँ। मेरे घर में मेरी माँ और मेरी छोटी बहन रहती है। मैं नौकरी के साथ-साथ एक कंप्यूटर कोर्स कर रही हूं और यह कोर्स मेरे पिता के मित्र अंकल जी करवाते थे, जिनसे हम दोनों बहनें एक साथ सीख रही थी। मैं रोज उनके पास जाती उनके घर में उनकी पत्नी और एक बच्चा है। दोस्तों अंकल बहुत ही अच्छे है मैं उनको बहुत पसंद करती हूँ। और पसंद करने का कारन यह है की मेरे माँ और पापा दोनों पुराने खयालात के हैं। वो मुझे घर से बाहर बहुत कम निकलने देते थे। ना तो फ़ोन देते हैं ना इंटरनेट चलाने देते। जब कोई लड़का नहीं मिलेगा कोई बॉयफ्रैंड नहीं मिलेगा तब तो किसी से भी काम चलाना पडेगा। यही हालात मेरे साथ भी है। मैं अंकल को दिल से ही चाहने लगी हूँ। मैं उनकी याद में हमेशा खोने लगी हूँ। भले वो मेरे से 25 साल बड़े थे पर करूँ भी तो क्या शुरुआत में तो अंकल मेरे ऊपर ध्यान नहीं दिया पर धीरे धीरे वो मेरे तरफ आकर्षित होने लगे। और एक दिन वो मुझे अपनी बाहों में भर लिए जब ऑन्टी घर में नहीं थी। वो मुझे चूमने लगे और मुझे अपनी बाहों में समेटने लगे। ये मेरा पहला एहसास था किस पुरुष के साथ। वो मेरी चूचियों को भी पकड़ कर मसलने लगे। वो फिर मेरी पेंटी में हाथ घुसाने लगे पर मुझे अच्छा नहीं लगा और मैं अलग हो गई बोली फिर कभी। दोस्तों उसके बाद उस दिन घर चली गई और फिर दूसरे दिन आई पर दूसरे दिन ऑन्टी घर में थी इस वजह से ज्यादा कुछ नहीं हुआ था। पर आज सुबह जैसे ही उनके घर पर गई पता चला ऑन्टी नहीं हैं। वो अजमेर गई हैं। तो घर में अकेले थे उन्होंने मुझे बाहों में भर लिया। और फिर शुरू हो गया चूमना चाटना, मैं मदहोश हो गई थी क्यों की वो मुझे गरम कर चुके थे। वो मेरी चूचियों को पि रहे थे दबा रहे थे अपना लिप लॉक कर रहे थे मेरी गांड सहला रहे थे और धीरे धीरे करके मेरे सारे कपडे उतार दिए। मैं नंगी हो गई उनकी साँसे तो तेज हो ही गई थी मेरी भी साँसे जोर जोर से चलने लगी थी। मेरे होठ सुख रहे थे मैं बार बार अंगड़ाइयां ले रही थी। मैं खुद को संभाल नहीं पा रही थी मैं बेड पर पैर फैला दी। उन्होंने मेरे चूच को पीने लगे। मेरे चूत को सहलाने लगे।
मेरी चूत पर छोटी छोटी बाल उसके वो अपने ऊँगली से सहला रहे थे और बिच बिच में चूत पर ऊँगली लगा कर फिर वो अपने मुँह में ले रहे थे। और मजे ले रहे थे। फिर उन्होंने मेरे पैरों को अलग अलग किया और चूत पर अपनी जीभ रखी दोस्तों उनके जीभ रहने से ही मैं बैचेन हो गई ऐसा लगा मेरे पुरे शरीर में करंट दौड़ गया। मैं छटक गई और अब ऐसा लग रहा था जब वो जीभ लगाएंगे वैसे ही मुझे करेंट लगेगा। उन्होंने अब मुझे जोर से पकड़ लिया। और मेरे दोनों पैरों को दबा लिया कस के और जो फिर से चूत पर जीभ रख दिया इस बार मैं कुछ नहीं कर पाई और मैं अपने आप को सौंप दी उनको पांच मिनट में ही शांति हो गई। अब मजे से चटवाने लगे मेरी सिसकारियां निकल रही थी। मैं अपने होठ को अपने दांतों से दबा रही थी। मुझे बहुत अच्छा लग रही था। ऐसा लग रही था जैसे की मैं जन्नत में हों। दोस्तों उन्होंने मेरे पुरे बदन में अपना जीभ और हाथ फेरे उन्होंने मुझे कामुक बना दिया। मेरी चूत धधक रही थी और पानी छोड़ रही थी। मेरी चूत काफी गीली हो गई थी। अब उन्होंने अपना मोटा लौड़ा निकाला और मेरी चूत पर लगाया। पर मेरी चूत वर्जिन थी छेद नहीं था। उन्होंने पहले अच्छे से मेरी चूत को देखा और फिर थूक लगाया चूत में, और लड़ पर भी। और फिर सेट किया चूत के छेद पर, दोस्तों मैं पागल हो रही थी उन्होंने धीरे से अंदर किया पर गया नहीं उनका लड़ मूड गया। वो कोशिस फिर से किये दो तीन बार असफल रहने के बाद। उन्होंने मेरी तंग चूत में पूरा लौड़ा घुसा दिया। पर दर्द से कराह उठी छटपटा उठी। मैं रोने लगी दर्द के मारे।
उन्होंने मेरी चूचियों को सहलाने लगे। और फिर धीरे धीरे से अंदर बाहर करने लगे। मैं दर्द से कराह रही थी क्यों की काफी दर्द हो रही थी। पर अंकल धीरे धीरे करके जोर जोर से घुसाने लगे। अब तो तेज हो गए और जल्दी जल्दी अंदर बाहर। मेरा पूरा बदन हिल रही थी। और वो धक्के पर धक्के दे रहे थे। पर पांच मिनट बाद ही मैं जोश में आ गई। मैं अब खुल गई थी और अब उनको पकड़ कर चूमने लगी उनके सीने को सहलाने लगी और खुद गांड को गोल गोल घुमा घुमा कर लेने लगी। अब असली मजा आने लगा था। चुदाई का अब मस्त होकर चुदवाने लगी। वो मुझे दो तीन तरीके से चोदे और मैं भी खूब चुदी और फिर वो झड़ गए मैं तो पहले ही बस हो गई थी, इस तरह से मेरी पहली चुदाई हुई! जल्द ही दूसरी कहानी लेकर आउंगी तब तक बने रहिये रोजाना।
मेरी चूत पर छोटी छोटी बाल उसके वो अपने ऊँगली से सहला रहे थे और बिच बिच में चूत पर ऊँगली लगा कर फिर वो अपने मुँह में ले रहे थे। और मजे ले रहे थे। फिर उन्होंने मेरे पैरों को अलग अलग किया और चूत पर अपनी जीभ रखी दोस्तों उनके जीभ रहने से ही मैं बैचेन हो गई ऐसा लगा मेरे पुरे शरीर में करंट दौड़ गया। मैं छटक गई और अब ऐसा लग रहा था जब वो जीभ लगाएंगे वैसे ही मुझे करेंट लगेगा। उन्होंने अब मुझे जोर से पकड़ लिया। और मेरे दोनों पैरों को दबा लिया कस के और जो फिर से चूत पर जीभ रख दिया इस बार मैं कुछ नहीं कर पाई और मैं अपने आप को सौंप दी उनको पांच मिनट में ही शांति हो गई। अब मजे से चटवाने लगे मेरी सिसकारियां निकल रही थी। मैं अपने होठ को अपने दांतों से दबा रही थी। मुझे बहुत अच्छा लग रही था। ऐसा लग रही था जैसे की मैं जन्नत में हों। दोस्तों उन्होंने मेरे पुरे बदन में अपना जीभ और हाथ फेरे उन्होंने मुझे कामुक बना दिया। मेरी चूत धधक रही थी और पानी छोड़ रही थी। मेरी चूत काफी गीली हो गई थी। अब उन्होंने अपना मोटा लौड़ा निकाला और मेरी चूत पर लगाया। पर मेरी चूत वर्जिन थी छेद नहीं था। उन्होंने पहले अच्छे से मेरी चूत को देखा और फिर थूक लगाया चूत में, और लड़ पर भी। और फिर सेट किया चूत के छेद पर, दोस्तों मैं पागल हो रही थी उन्होंने धीरे से अंदर किया पर गया नहीं उनका लड़ मूड गया। वो कोशिस फिर से किये दो तीन बार असफल रहने के बाद। उन्होंने मेरी तंग चूत में पूरा लौड़ा घुसा दिया। पर दर्द से कराह उठी छटपटा उठी। मैं रोने लगी दर्द के मारे।
उन्होंने मेरी चूचियों को सहलाने लगे। और फिर धीरे धीरे से अंदर बाहर करने लगे। मैं दर्द से कराह रही थी क्यों की काफी दर्द हो रही थी। पर अंकल धीरे धीरे करके जोर जोर से घुसाने लगे। अब तो तेज हो गए और जल्दी जल्दी अंदर बाहर। मेरा पूरा बदन हिल रही थी। और वो धक्के पर धक्के दे रहे थे। पर पांच मिनट बाद ही मैं जोश में आ गई। मैं अब खुल गई थी और अब उनको पकड़ कर चूमने लगी उनके सीने को सहलाने लगी और खुद गांड को गोल गोल घुमा घुमा कर लेने लगी। अब असली मजा आने लगा था। चुदाई का अब मस्त होकर चुदवाने लगी। वो मुझे दो तीन तरीके से चोदे और मैं भी खूब चुदी और फिर वो झड़ गए मैं तो पहले ही बस हो गई थी, इस तरह से मेरी पहली चुदाई हुई! जल्द ही दूसरी कहानी लेकर आउंगी तब तक बने रहिये रोजाना।


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